लेखनी प्रतियोगिता -29-Nov-2021 सासू मां
सासू माँ
(कविता - स्वतंत्र विधा)
सासू मांँ है प्यारी सी,
लाड लड़ाती न्यारी सी।
प्यार के उनके परिभाषा अलग,
थोड़ा प्यार थोड़े गुस्से से समझाती।
हमको सब दुनियादारी का पाठ पढ़ाती,
घर गृहस्थी में निपुण बनाती,
सुख दुख में आना-जाना सिखलाती।
ध्यान रखें सबका ही नित,
बच्चों पर लाड लड़ाती।
अपने पास बच्चों को सुलाती,
कहानी किस्से खूब सुनाती।
लड्डू पेड़ा बर्फी बनवाएंँ,
बेसन के लड्डू खूब बनाएंँ।
बेटी के मन को भाएंँ,
कहीं भी जाएं कुछ ना कुछ लाएंँ।
सारे बच्चों को दिखाएंँ,
मेरे बच्चे पाले सारे सासु मांँ ने।
थोड़ी कडक ,थोड़ी नरम सी,
खुद चाहे कितना भी कह ले।
दूजे का कुछ ना कहना भाएंँ,
आशीर्वाद से उनके घर चले ।
प्रेम प्रीत वह तो सबसे करें,
भजन कीर्तन खूब है भाये।
मीठे सुर में वह तो गाये,
लोग उन्हें खूब याद है करते,
अच्छाई ही तो संग चले।
जाने के बाद भी लोग याद करें।
प्रेम प्यार की वह मूरत,
मांँ से प्यारी सासू मांँ।
मन के सबको वह तो भाती,
ममता उनकी कम ना हो पाती।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
शाहदरा, दिल्ली
प्रतियोगिता के लिए
Seema Priyadarshini sahay
29-Nov-2021 03:53 PM
बहुत खूबसूरत संस्मरण।
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Swati chourasia
29-Nov-2021 03:40 PM
Very beautiful 👌👌
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